Father's Day कुछ यादें...कुछ सवाल...कुछ जवाब...

"पिता" बहुत ही विशेष और महत्वपूर्ण शब्द है। ये आपके साथ जुड़ जाता है आपके जन्म के साथ ही। ये आपकी पहचान है। आपका अस्तित्व है। आपकी प्रेरणा है। आपकी हिम्मत है। आपका विश्वास है। आपका वो भगवान है जो दिखता है, बोलता है, संवाद करता है।

पिता वो है जो आपका दुनिया से साक्षात्कार कराता है, सही गलत की पहचान कराता है। वो आपका पहला शिक्षक है जो स्कूल जाने से पहले ही आपको पहला अध्याय पढ़ाता है। वो आपके लिए चिंतित है हर पल और निष्ठुर होने का दिखावा भी करता है। वो आपके लिए आंखों में सपने सजाये है लेकिन आपको बताता नही है। उसके अपने कुछ अधूरे सपने हैं जिनका पूरा नही होने का दुख भी है और उनको आप में पूरा करने की आस भी संजोये है। वो आपके लिए दुनिया से लड़ने को तैयार है लेकिन अपने लिए किसी से भी नही।
जब तक आप घर नही पहुँच जाते शाम को तो चिंतित भी है और बातों बातों में सबको तसल्ली भी देता जाता है।

आपको सूरज चाँद से पहला परिचय कराया उसने, 
आपको पेड़ पौधों से प्रेम करना सिखाया उसने। 
बारिश में गुफ़्तगू की , तो बारिश का होना क्यों है समझाया उसने। 
सागर कितना गहरा है , कोशिशों से समझाया उसने।
हर जवाब पर फिर से उठते सवाल पर फिर धैर्य से बतलाया उसने।

राम और रावण ऐसे क्यों है, ये जाना उनसे,
रामायण का मर्म क्या, ये भी बतलाया उसने।
क्या था इतिहास इस देश का उनसे ही जाना था,
क्या शाशक सही थे ,अगर थे तो कितने , समझाया उसने।
चींटी का धर्म क्या है , मधुमख्खी का पुष्प से प्रेम क्यूं,
छोटे छोटे शब्दो से बड़ा सा मतलब समझाया उसने।

मोर बारिश में नाचता क्यूं, क्यूं मुर्गा देता हर सुबह बांग,
ऐसी बातों का उत्तर देते जो लगे ऊट पटांग।
क्यों गलत न करना किसी का, है सबसे जरूरी ज्ञान,
क्यूं सबकी खुशी में अपनी खुशी होना, अपनी ही है शान
जीवन मृत्यु क्यूं है , क्यूं लोगो को होता दुख सुख हर रोज़।
ऐसे अनगिनत सवालो का उत्तर देते वो खोज।

क्यूं है दुनिया मे लाचारी, क्यों होते अमीर गरीब।
क्यूं है कुछ लोग रखते कपट, और क्यों होते कुछ शरीफ।
ख्वाब, अनुशासन, जिम्मेदारी क्यों है जरूरी क्या है इनका मोल,
क्या होती है मानवता , क्या होता है हर फैसले में इसका तोल।
अनुभव में कैसे है निहित अच्छाई और बुराई की सीख,
क्यूं कोई है राजा और कोई मांगे आजीवन भीख।

ऐसे अनेक सवाल जो बचपन में हम पूछा करते थे,
और जवाब भी मिल जाएंगे ऐसा सोचा करते थे।
जो पिता हो साथ तुम्हारे तो लगा लेना उनको गले,
जो मुद्दत हुई तो फिर फिर कहो वो न मिले।
उंगली पकड़े पिता की, हर फिक्र से अनजान थे,
आज सवालो के इर्द गिर्द खड़े हैं, बिना किसी जवाब के।

आपके अनगिनत सवालों का एक जबाब - "पिता"

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